9 जुलाई 2025 को देशभर के बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल
9 जुलाई 2025 को देशभर के बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। यह हड़ताल ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज़ एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन और बैंक एम्प्लाईज़ फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त आह्वान पर आयोजित की जा रही है। इस हड़ताल का उद्देश्य केंद्र सरकार की जनविरोधी और श्रमविरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराना है। इसके साथ ही यह हड़ताल केंद्रीय श्रमिक संगठनों की प्रमुख मांगों के समर्थन में की जा रही है।
बैंक यूनियनों की प्रमुख मांगों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण पर रोक, बैंकों में पर्याप्त भर्तियों की सुनिश्चितता, आउटसोर्सिंग को बंद करने, कॉरपोरेट बकायेदारों से ऋण की तत्काल वसूली, ग्राहकों के लिए सेवा शुल्क में कमी, श्रम संहिताओं को लागू न करने, पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली, ट्रेड यूनियन अधिकारों में हस्तक्षेप पर रोक और बैंक कर्मियों की लंबित मांगों का शीघ्र समाधान शामिल है।
यूनियन नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन केवल बैंक कर्मियों के लिए नहीं, बल्कि आम ग्राहकों के अधिकारों की भी रक्षा करने के उद्देश्य से है। यूनियनों ने कहा है कि सरकार को बैंकों के निजीकरण की बजाय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए। इसके अलावा, लंबे समय से लंबित प्रमोशन, भत्ते और सेवा शर्तों से जुड़े मुद्दों का भी समाधान सरकार को करना चाहिए।
हड़ताल के कारण देशभर में नकद जमा-निकासी, चेक क्लियरिंग, ऋण सेवाएं और अन्य बैंकिंग कार्य प्रभावित हो सकते हैं। यूनियनों ने आम लोगों से सहयोग की अपील की है और आग्रह किया है कि वे आवश्यक बैंकिंग कार्य 9 जुलाई से पहले निपटा लें, जिससे उन्हें किसी प्रकार की असुविधा न हो।v9 जुलाई 2025 को देशभर के बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। यह हड़ताल ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाईज़ एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन और बैंक एम्प्लाईज़ फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त आह्वान पर आयोजित की जा रही है। इस हड़ताल का उद्देश्य केंद्र सरकार की जनविरोधी और श्रमविरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराना है। इसके साथ ही यह हड़ताल केंद्रीय श्रमिक संगठनों की प्रमुख मांगों के समर्थन में की जा रही है।
बैंक यूनियनों की प्रमुख मांगों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण पर रोक, बैंकों में पर्याप्त भर्तियों की सुनिश्चितता, आउटसोर्सिंग को बंद करने, कॉरपोरेट बकायेदारों से ऋण की तत्काल वसूली, ग्राहकों के लिए सेवा शुल्क में कमी, श्रम संहिताओं को लागू न करने, पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली, ट्रेड यूनियन अधिकारों में हस्तक्षेप पर रोक और बैंक कर्मियों की लंबित मांगों का शीघ्र समाधान शामिल है।
यूनियन नेताओं का कहना है कि यह आंदोलन केवल बैंक कर्मियों के लिए नहीं, बल्कि आम ग्राहकों के अधिकारों की भी रक्षा करने के उद्देश्य से है। यूनियनों ने कहा है कि सरकार को बैंकों के निजीकरण की बजाय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए। इसके अलावा, लंबे समय से लंबित प्रमोशन, भत्ते और सेवा शर्तों से जुड़े मुद्दों का भी समाधान सरकार को करना चाहिए।
हड़ताल के कारण देशभर में नकद जमा-निकासी, चेक क्लियरिंग, ऋण सेवाएं और अन्य बैंकिंग कार्य प्रभावित हो सकते हैं। यूनियनों ने आम लोगों से सहयोग की अपील की है और आग्रह किया है कि वे आवश्यक बैंकिंग कार्य 9 जुलाई से पहले निपटा लें, जिससे उन्हें किसी प्रकार की असुविधा न हो।

