बोकारो :- देश में सामाजिक न्याय की स्थापना की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार ने आखिरकार देशव्यापी जातिगत जनगणना कराने की घोषणा की है। यह एक ऐसा निर्णय है, जिसकी मांग वर्षों से उठ रही थी। लेकिन जिसे बार-बार टाल दिया गया। इस मुद्दे को राष्ट्रीय मंच पर गंभीरता से उठाने और उसे जन आंदोलन में बदलने का श्रेय कांग्रेस पार्टी और विशेष रूप से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को जाता है। 1931 के बाद देश में कोई जातिगत जनगणना नहीं हुई है। स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी भारत के सामाजिक ताने-बाने को समझने और हाशिए पर खड़े वर्गों को बराबरी का अवसर देने के लिए आवश्यक आंकड़ों का अभाव रहा है। यह एक ऐसा शून्य था, जो नीति निर्माण में असमानता, पक्षपात और अदृश्य भेदभाव को जन्म देता रहा। राहुल गांधी ने बार-बार कहा है कि जनसंख्या के आधार पर अधिकार मिलना चाहिए। जब तक हमें यह पता नहीं होगा कि समाज में कौन कितनी संख्या में हैं, तब तक हम समान अवसर नहीं दे सकते। उन्होंने स्पष्ट रूप से यह मांग की कि जातिगत जनगणना न केवल पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए, बल्कि पूरे देश के सामाजिक और आर्थिक संतुलन के लिए ज़रूरी है। यह बातें कुशवाहा राकेश महतो, कार्यकारी अध्यक्ष,झारखंड प्रदेश कांग्रेस पार्टी ( ओ बी सी विभाग) पत्रकारों से बोकारो के कोऑपरेटिव कॉलोनी में प्रेस वार्ता में कहीं। कुशवाहा राकेश महतो ने कहा कि राहुल गांधी ने इसे केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं बनने दिया, बल्कि इसे एक नैतिक, संवैधानिक और मानवाधिकार से जुड़ा प्रश्न बना दिया। उन्होंने देश के युवाओं, महिलाओं और वंचित वर्गों के बीच इस मुद्दे को लेकर जागरूकता फैलाई। कांग्रेस पार्टी के जनाधार से लेकर संसद तक, हर मंच पर उन्होंने यह आवाज बुलंद की। राज्यों में जब बिहार, कर्नाटक और अन्य जगहों पर जातिगत जनगणना कराई गई और उसके आधार पर योजनाएं बनाई गईं, तब यह स्पष्ट हो गया कि इस प्रकार की जानकारी विकास की दिशा को नया रूप देती है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इसकी अनुपस्थिति सबसे बड़ी बाधा थी। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने बार-बार केंद्र सरकार को यह याद दिलाया कि संविधान में समानता का अधिकार सिर्फ कागज़ों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। जब संसद में यह मुद्दा उठाया गया, तो सत्ता पक्ष के तर्क कमजोर पड़ते गए। अंततः, जनदबाव, तर्क और न्याय की पुकार के आगे केंद्र सरकार को झुकना पड़ा और जातिगत जनगणना को मंजूरी देनी पड़ी। यह सिर्फ राहुल गांधी की नहीं, बल्कि उस हर नागरिक की जीत है जो वर्षों से हाशिए पर जी रहा है, जिसके लिए योजनाएं बनीं लेकिन जो कभी उनमें गिने नहीं गए। यह निर्णय भारत को एक समावेशी, न्यायसंगत और अधिक सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। कांग्रेस पार्टी इस घोषणा का स्वागत करती है और विश्वास व्यक्त करती है कि आने वाले समय में इसी जानकारी के आधार पर सामाजिक योजनाओं और संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित होगा। राहुल गांधी की यह विजयी लड़ाई देश की लोकतांत्रिक आत्मा और संविधान के मूल्यों को पुनः प्रतिष्ठित करती हैं।इस मौके पर औअधिवक्ता अशोक कुमार बोकारो जिला कांग्रेस पिछडा वर्ग अध्यक्ष अजय कुमार के साथ देवमुनी सिंह भी उपस्थित थे
