शिक्षकों ने सीखे योग्यता-आधारित मूल्यांकन के गुर।
बोकारो :नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप शिक्षकों को तैयार कर शिक्षण-व्यवस्था अधिक प्रभावशाली व रोजगारोन्मुखी बनाए जाने की दिशा में सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में डीपीएस बोकारो में सीबीएसई के पटना उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के तत्वावधान में दो-दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। क्षमता-आधारित मूल्यांकन (कम्पेटेन्सी बेस्ड असेसमेंट) विषय के द्वितीय चरण का कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोग्राम रविवार को संपन्न हुआ। इसमें विद्यालय के कुल 60 शिक्षकों ने विद्यार्थियों की योग्यता, उनके कौशल और उनकी मेधाविता के प्रभावशाली मूल्यांकन के गुर सीखे। कार्यक्रम का उद्घाटन विद्यालय के प्राचार्य डॉ. ए. एस. गंगवार, रिसोर्स पर्सन जीजीपीएस, चास के प्राचार्य अभिषेक कुमार एवं एआरएस पब्लिक स्कूल की वरिष्ठ शिक्षिका सरिता झा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। रिसोर्स पर्सन्स का स्वागत करते हुए प्राचार्य डॉ. गंगवार ने शिक्षकों के आपसी ज्ञानार्जन एवं कौशल-संवर्द्धन की दिशा में इस प्रकार के कार्यक्रमों को काफी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को पूरी तरह धरातल पर उतारने में शिक्षकों की केंद्रीय भूमिका है, जिसके लिए ऐसे कार्यक्रमों के जरिए उनकी क्षमता में विकास आवश्यक है। उन्होंने कार्यशाला में सीखी गई बातों का अपने दैनिक शिक्षण-कार्यों में इस्तेमाल करते हुए विद्यार्थियों को लाभान्वित कर सकारात्मक परिणाम लाने की प्रेरणा दी। रिसोर्स पर्सन अभिषेक कुमार ने छात्र-छात्राओं की क्षमता अथवा योग्यता का आकलन करने से पूर्व उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक पहलुओं को समझने पर बल दिया। समुचित मूल्यांकन के लिए उन्होंने अच्छे प्रश्नों की अनिवार्यता रेखांकित की और कहा कि अच्छे प्रश्न अच्छे शिक्षार्थी तैयार करते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों की क्षमता को परखकर एवं उनकी कमियों की जांच कर तथा उसका समाधान आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि कौशल और मूल्यों से मिलकर ज्ञान और सुदृढ़ होता है, जो विद्यार्थियों की क्षमता के विकास में सहायक है। दूसरी रिसोर्स पर्सन सरिता झा ने कहा कि मूल्यांकन किसी भी पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग है। विद्यार्थियों की शैक्षणिक प्रगति को समझने में उनकी क्षमता का सही मूल्यांकन आवश्यक है। इसके लिए शिक्षक प्रश्नों को सही तरीके से तैयार करें। रिसोर्स पर्सन्स ने सवालों के अलग-अलग प्रकार, अवधारणा-आधारित शिक्षण आदि पर विस्तार से चर्चा की तथा बहुवैकल्पिक प्रश्नों के चार प्रकारों – आसान, जटिल, केस आधारित और कथन-कारण वाले सवालों – को भी विस्तार से समझाया। दो दिन की इस कार्यशाला में सवालों को परखने और उनका मूल्यांकन करने, साथ ही फ्री रिस्पॉन्स और कंस्ट्रक्टेड रिस्पॉन्स जैसे अलग-अलग प्रकार के सवालों को बनाने पर गहन चर्चा और मंथन हुआ। इसमें शामिल शिक्षकों ने निर्धारित विषय से संबंधित विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में भी भाग लिया। उन्होंने भांति-भांति के प्रश्नपत्र तैयार किए और उनका मूल्यांकन किया।

