घर–घर में हस्तशिल्प की हो शुरुआत, आत्मनिर्भर बने बोकारोः उपायुक्त

मगध बैंक्वेट हॉल में हस्तशिल्प प्रदर्शनी सह बिक्री मेले का उपायुक्त ने किया उद्घाटन, 16 अक्टूबर तक रहेगा आयोजन

बोकारो, प्रतिनिधि। चास स्थित मगध बैंक्वेट हॉल में मंगलवार शाम हस्तशिल्प प्रदर्शनी सह बिक्री मेला का उद्घाटन उपायुक्त अजय नाथ झा ने दीप प्रज्वलित कर किया। यह मेला 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसमें चंदनकियारी समेत विभिन्न प्रखंडों, पड़ोसी जिलों के स्वयं सहायता समूहों, ग्रामीण शिल्पकारों, जनजातीय कलाकारों और महिला उद्यमियों ने अपने हस्तनिर्मित उत्पादों का प्रदर्शन किया है।

इस अवसर पर डीडीएम नाबार्ड फिलमोन बिलुंग, हस्तशिल्प सेवा केंद्र देवघर के सहायक निदेशक शत्रुघ्न कुमार, सचिव जनजागरण केंद्र संजय कुमार सिंह, एपीआरओ अविनाश कुमार सिंह सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।

‘मिट्टी–माटी बोकारो की पहचान है’ : उपायुक्त
उद्घाटन समारोह में उपायुक्त झा ने कहा कि बोकारो की असली पहचान इसकी मिट्टी, संस्कृति और मेहनतकश लोगों में है। उन्होंने कहा कि जिले के हर घर में किसी न किसी रूप में कला और शिल्प की परंपरा रही है, जिसे पहचान और बाजार से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि “घर–घर में हस्तशिल्प की शुरुआत हो, हर परिवार आत्मनिर्भर बने।”

उन्होंने इसे स्वाभिमान और सृजनशीलता का उत्सव बताते हुए कहा कि यह छोटी शुरुआत कल बड़े आयोजन का मार्ग प्रशस्त करेगी। उपायुक्त ने घोषणा की कि जिले के सभी नौ प्रखंडों में इसी तरह की हस्तशिल्प प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी ताकि ग्रामीण कलाकारों, कुम्हारों, बुनकरों और महिला समूहों को प्रोत्साहन मिल सके।

किसानी संस्कृति और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा
उपायुक्त ने बताया कि जिला प्रशासन “मिट्टी–माटी बोकारो की पहचान” थीम पर काम कर रहा है। इसका उद्देश्य किसानी संस्कृति को पुनर्जीवित करना और स्थानीय संसाधनों से बने उत्पादों को बाजार में पहचान दिलाना है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए उत्पादों की खरीदारी करें, जिससे रोजगार और आत्मनिर्भरता को बल मिले।

रात्रि पाठशाला में दी जाएगी व्यवसायिक शिक्षा
उपायुक्त ने जानकारी दी कि दिशोम गुरू की स्मृति में शुरू होने वाली रात्रि पाठशालाओं में व्यवहारिक व व्यवसायिक शिक्षा दी जाएगी, ताकि गांवों में शिक्षा के साथ रोजगारपरक कौशल का भी विकास हो।

जनजातीय संस्कृति और कला को मिलेगा प्रोत्साहन
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन जनजातीय कला और लोकसंस्कृति के संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है। जिले के सभी कला केंद्रों में पारंपरिक वाद्य यंत्र और संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही 4–5 नवंबर को लुगुबुरू घंटाबाड़ी धोरोमगढ़ महोत्सव में जनजातीय संस्कृति का भव्य प्रदर्शन किया जाएगा।

वाइब्रेंट बोकारो की दिशा में प्रयास
उपायुक्त ने कहा कि प्रशासन का लक्ष्य बोकारो को वाइब्रेंट जिला बनाना है, जहां खेल, कला, संस्कृति, प्रदर्शनियों और जनसहभागिता के माध्यम से समाज में रचनात्मकता और आत्मनिर्भरता का वातावरण बने। उन्होंने शिल्पकारों और महिला समूहों को बधाई देते हुए कहा, “स्थानीय उत्पाद खरीदें, स्थानीय कारीगरों का सम्मान करें, तभी आत्मनिर्भर बोकारो की परिकल्पना साकार होगी।”

जानकारी के अनुसार, यह आयोजन राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी) के अंतर्गत बिरसा क्राफ्ट प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (बीसीपीसीएल) द्वारा किया गया है। मेले में बांस, लकड़ी, तसर, मिट्टी और अन्य पारंपरिक हस्तनिर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी और बिक्री की जा रही है। मेला प्रतिदिन सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक आम जनता के लिए खुला रहेगा।

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