
चंदनकियारी
केरल की आशा कार्यकर्ताओं का विरोध सिर्फ़ उचित वेतन की लड़ाई नहीं है, बल्कि सम्मान और सामाजिक न्याय की मांग है। सरकार उनके अमूल्य योगदान को पहचाने और उनकी जायज मांगों को पूरा करे।
केरल में मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ताओं का विरोध अब अपने 75 वें दिन में प्रवेश कर चुका है।कार्यकर्ता तिरुवनंतपुरम में सचिवालय के सामने डेरा डाले हुए हैं। अपने मानदेय में पर्याप्त वृद्धि की मांग कर रहे हैं।समुदाय के लिए उनकी अथक और निस्वार्थ सेवा के बावजूद, विशेष रूप से 2018 की विनाशकारी बाढ़ और अभूतपूर्व कोविड-19 महामारी के दौरान, कार्यकर्ता कभी भी परित्यक्त, उपेक्षित और अनसुना नहीं किया।कार्यकर्ता अपनी जान जोखिम में डाल कर काम करते रहे। आशा कार्य समूह की स्थापना 2007 में सामुदायिक स्वास्थ्य पहलों को सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में एकीकृत करने के उद्देश्य से की गई थी।आशा कार्यकर्ताओं की धरनें की समर्थन में शुक्रवार को झारखण्ड स्वास्थ्य सहिया कर्मचारी यूनियन, बोकारो जिला कमिटी ने चंदनकियारी के बरमसिया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से हाई स्कूल तक रैली कर रैली बैंक ऑफ बरमसिया के समीप सभा में तब्दील हो गया। सभा का अध्यक्षता तारा बनर्जी व संचालन नुनी वाला उरांव ने किया. वहीं तारा बनर्जी ने कहा कि केरल में आशा कार्यकर्ताओं की मांग जायज है।सरकार उनकी मांगों को अविलम्ब पुरा करें। केरल के साथ साथ पुरे देश भर में चरणबद्ध आन्दोलन करने के लिए बाध्य होंगे।जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेवार सरकार एवं उनके प्रतिनिधि होंगे।इस मौके पर काबेरी देव, आशा मुण्डा, नियती देवी, संतोषी देवी, जबावाला लोहार, बेदना रजवार, अंजना देवी, पलासी देवी, बसंती देवी, प्रतिमा देवी, नुनीवाला कालिन्दी, बनोता महतो, लक्ष्मी देवी, मृतिका देवी, झरना मुखर्जी, टुम्पा महतो, फुदुना देवी, बेदनी देवी, पद्मा वाला देवी, आदि शामिल शामिल रही.