
दुखद घटनाओं पर सस्ती राजनीति कर रहे बाबूलाल मरांडी: कांग्रेस महासचिव
रांची : साहिबगंज की एक दुखद घटना को लेकर विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे सवालों पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव आलोक कुमार दूबे ने कड़ा जवाब देते हुए भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी पर सीधा निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि “राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को जर्जर करने वाले लोग अब झूठा नैतिक आवरण ओढ़कर राजनीति कर रहे हैं।” आलोक दूबे ने आरोप लगाया कि बाबूलाल मरांडी और उनकी सरकारों ने झारखंड में वर्षों तक शासन किया लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में कोई ठोस काम नहीं किया। उन्होंने पूछा, “मरांडी बताएं कि उनके शासनकाल में कितने अस्पताल बने, कितने डॉक्टर नियुक्त किए गए और कितनी एंबुलेंस ग्रामीण झारखंड को उपलब्ध कराई गई?” उन्होंने कहा कि अगर आज किसी बीमार को खाट पर ढोकर अस्पताल ले जाना पड़ रहा है, तो उसके लिए जिम्मेदार वे ही लोग हैं जिन्होंने सत्ता में रहकर सिर्फ घोषणाएं कीं और जमीनी काम कुछ नहीं किया। हेमंत सरकार ने उठाया सुधार का बीड़ा आलोक दूबे ने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार ने उस बर्बाद ढांचे को सुधारने की जिम्मेदारी ली है, जिसे पिछली सरकारों ने तबाह किया। उन्होंने बताया कि आज झारखंड में स्वास्थ्य क्षेत्र में अभूतपूर्व काम हो रहा है — RIMS-2 जैसे अत्याधुनिक अस्पताल का निर्माण, 126 विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति, और जिलों में नए अस्पतालों की स्थापना जैसे कदम इसी दिशा में हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पहली बार डॉक्टरों को अपनी वेतन बोली लगाने का अवसर दिया गया, जिससे पारदर्शिता और गुणवत्ता दोनों सुनिश्चित हो सकीं। गोड्डा में 50 बेड का नया अस्पताल, और संथाल परगना जैसे पिछड़े इलाकों में चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार हेमंत सरकार की दूरदर्शिता का प्रमाण है। ‘काम दिख रहा है, झूठ नहीं चलेगा’ आलोक दूबे ने कहा कि विपक्ष को यह स्वीकार करना चाहिए कि हेमंत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में गंभीर और ठोस पहल की है। उन्होंने बाबूलाल मरांडी को सलाह दी कि वे दर्दनाक घटनाओं पर सस्ती राजनीति करने से पहले यह बताएं कि उनके शासनकाल में जनता के लिए क्या किया गया। “अब झूठ और छवि निर्माण से वोट नहीं मिलते, काम दिखाना पड़ता है — और वह काम आज हेमंत सरकार कर रही है,” उन्होंने दो टूक कहा। कांग्रेस महासचिव ने अंत में कहा कि यह सरकार न दिखावा कर रही है, न एहसान — बल्कि जमीनी बदलाव कर रही है, और जो नुकसान पूर्ववर्ती सरकारों ने छोड़ा था, उसे दुरुस्त कर झारखंड को एक स्वस्थ और सशक्त राज्य बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है।