. कुवैत में हुवे हादसे के 16 दिन बाद रंजीत का शव आया गाँव,टूटा परिवार पर दुखों का पहाड़

विदेशों में काम कर रहे हैं, लेकिन हादसा होने पर शवों को स्वदेश लाने और मुआवजे के इंतजाम में परिजनों को महीनों तक जद्दोजहद करनी पड़ती है।उन्होंने सरकार से मांग की कि प्रवासी मजदूरों के कल्याण के लिए ठोस नीतियां बनाई जाएं ताकि भविष्य में पीड़ित परिवारों को ऐसी कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। धनबाद। तोपचांची प्रखंड के चैता पंचायत अंतर्गत खैराबेड़ा गांव में शनिवार को शोक की लहर दौड़ गई, जब 16 दिन बाद प्रवासी मजदूर रंजीत कुमार महतो का शव कुवैत से गांव पहुंचा। शव देखते ही परिजनों में कोहराम मच गया और गांव का माहौल गमगीन हो गया। अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण जुटे थे। पत्नी गीता देवी और तीन छोटे-छोटे बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल था।जानकारी के अनुसार, 26 वर्षीय रंजीत कुमार महतो कुवैत में कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड कंपनी में कार्यरत थे। बीते 10 अप्रैल को टावर से गिरने के कारण उनकी दर्दनाक मौत हो गई थी। कंपनी द्वारा पीड़ित परिवार को 30 लाख रुपये मुआवजा देने पर सहमति बनी है।रंजीत अपने पीछे पत्नी के अलावा छह वर्षीय बेटी सृष्टि, चार वर्षीय सुरभि और दो वर्षीय बेटे सौरभ को छोड़ गए।घटना की सूचना पर प्रवासी मजदूरों के हित में कार्य कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि झारखंड के गिरिडीह, बोकारो और हजारीबाग जैसे जिलों से बड़ी संख्या में मजदूर

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