हिन्दू जनजागृति समिति के माध्यम से देशभर में 45 स्थानों पर तथा कतरासगढ़ के खेमका भवन, रानी बाजार में गुरुपूर्णिमा महोत्सव संपन्न!

गुरु-शिष्य परंपरा का आदर्श लेकर राष्ट्र और धर्म के लिए सक्रिय होना ही सच्ची गुरुदक्षिणा है! पूज्य प्रदीप खेमका, सनातन संस्था के संत

कतरास।  संपूर्ण विश्व पर तृतीय विश्वयुद्ध की तलवार लटक रही है। देश के भीतर भी पहलगाम जैसे हालात, दंगे, फेक नैरेटिव्स, लव जिहाद, लैंड जिहाद आदि के माध्यम से हिन्दुओं को लक्ष्य बनाया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में हिन्दू समाज में भ्रम की स्थिति है। महाभारत के समय अर्जुन भी इसी भ्रम में था, तब श्रीकृष्ण ने कहा था । “अधर्म के विरुद्ध संघर्ष करना ही धर्म है।” आज भी गुरु तत्त्व की यही अपेक्षा है कि हिन्दू साधना करके आत्मिक बल बढ़ाएं और अधर्म के विरुद्ध सक्रिय हों। यही हमारी गुरु-शिष्य परंपरा का आदर्श है और उसी मार्ग पर चलना ही सच्ची गुरुदक्षिणा है, ऐसा प्रतिपादन हिंदू जनजागृति समिति की ओर से पूज्य प्रदीप खेमका जी ने किया। वे रानी बाजार, कतरासगढ़ में आयोजित गुरुपूर्णिमा महोत्सव में बोल रहे थे।हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा कतरासगढ़ सहित संपूर्ण देश में कुल ४५ स्थानों पर गुरुपूर्णिमा महोत्सव उत्साह व आध्यात्मिक वातावरण में संपन्न हुआ।

कतरासगढ़ में हुए महोत्सव में मार्गदर्शन करते हुए पूज्य डॉ. शिवनारायण सेन जी, सह सचिव, शास्त्र धर्म प्रचार सभा, कोलकाता एवं साप्ताहिक पत्रिका ‘ट्रुथ’ के सम्पादक, ने यह प्रतिपादित किया कि राष्ट्र और धर्म की रक्षा हमारे जीने के लिए आवश्यक है! जिस प्रकार मानव शरीर का हृदय बन्द होने पर अन्य अंग काम नहीं करते उसी प्रकार देश और धर्म जो समाजरूपी पुरुष का हृदय है, निष्क्रिय हो जाए तो समाज का विनाश निश्चित है। और समाज नहीं तो मनुष्य अकेला जी नहीं सकता। इसलिए यदि मनुष्य को अपनी सुरक्षा चाहिए तो राष्ट्र और धर्म की रक्षा करनी होगी ।

पूज्य डॉ. शिवनारायण सेन जी ने आगे स्पष्ट किया कि राष्ट्र और धर्म सुरक्षित होगा, तो समाज सुरक्षित रहेगा; समाज सुरक्षित रहेगा, तो व्यक्ति भी सुरक्षित रहेगा! लेकिन  वर्तमान में तथाकथित धर्म निरपेक्षता और पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव से समाज अपने धर्म और संस्कृति से विमुख होकर अधर्म और अनैतिकता की ओर अग्रसर हुआ है। परिणाम स्वरुप देश और समाज दोंनो ही अंदर से खोखला हो रहा है l ऐसे में यह ध्यान मे रखते हुए कि ‘संगठन में शक्ति है’, हमें तत्काल संगठित होकर प्रण के साथ अपने राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा के लिए समर्पित होना होगा। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री व्यास पूजा, परमपूज्य भक्तराज महाराज के प्रतिमापूजन तथा रामराज्य की स्थापना हेतु सामूहिक नामजप से हुआ। संतों के संदेश का वाचन, कार्यकर्ताओं के अनुभव कथन और लघु चलचित्रों द्वारा जनजागृति की गई। ‘स्वरक्षा प्रदर्शन’ भी दिखाए गए।इस अवसर पर विविध आध्यात्मिक, राष्ट्र एवं धर्म विषयक ग्रंथ प्रदर्शनी तथा राष्ट्र-धर्म से संबंधित पोस्टर प्रदर्शनी आयोजित की गई, जिससे अनेक धर्मप्रेमी लाभान्वित हुए।ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव’  देश-विदेश के श्रद्धालुओं को गुरुपूर्णिमा का लाभ मिल सके, इसके लिए समिति द्वारा अंग्रेज़ी, कन्नड़, तेलुगु व बंगाली भाषाओं में ‘ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ भी संपन्न हुआ, जिसमें अनेक देशों के दर्शकों ने सहभाग लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top