महागामा सहित मिथिलांचल में धार्मिक आस्था का उत्सव शुरू।
शंकर सुमन
गोड्डा में मिथिलांचल की पारंपरिक संस्कृति को जीवंत रखते हुए मंगलवार से मधुश्रावणी व्रत की शुरुआत हुई। यह व्रत नवविवाहित स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की मंगलकामना के लिए करती हैं। महागामा प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में इस व्रत की शुरुआत श्रद्धा और उत्साह के साथ हुई।मान्यता है कि सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने हेतु यह व्रत किया था। उसी परंपरा को निभाते हुए नवविवाहिताएं बड़े ही नियम-धर्म और फलाहार के साथ प्रतिदिन पूजा करती हैं।व्रत का आयोजन लगातार 14 दिनों तक चलता है, जिसमें प्रतिदिन विभिन्न कथाएँ, विशेषकर नाग-नागिन और सप्तऋषियों की कथाएँ, सुनी जाती हैं। पूजा में मधु (शहद) अर्पित किया जाता है, जिससे इस व्रत का नाम “मधुश्रावणी” पड़ा है।स्थानीय मंदिरों और घरों में भक्ति-भाव के साथ शिव-पार्वती की पूजा, व्रत कथाएँ और पारंपरिक गीतों के माध्यम से माहौल भक्तिमय हो उठा है।