झारखण्ड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के मुख्य संरक्षक ने की प्रेस वार्ता

गिरिडीह।

झारखण्ड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ का छठा राज्य सम्मेलन  जमशेदपुर के भगवान बिरसा मुण्डा टाउन हॉल में हुई। संपन्न सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष अमर किशोर प्रसाद सिन्हा महामंत्री डॉ मनोज कुमार सिन्हा मुख्य संरक्षक अशोक कुमार सिंह सम्मानित अध्यक्ष अशोक सिंह नयन उप संयोजक रूपलाल महतो के नाम की घोषणा की गई। शुक्रवार को गिरिडीह के कोलडीहा स्थित किरण पब्लिक स्कूल, में प्रेस वार्ता कर मुख्य संरक्षक अशोक कुमार सिंह ने कहा कि झारखण्ड राज्य में कर्मचारियों को प्रतिनिधित्व करनेवाला एकमात्र संस्था इस महासंघ जिसके साथ 55 संघ / युनियन सम्बद्ध हैं तथा 24 जिलों में जिला कमिटी गठित है, जो अपने आप में ऐतिहासिक है।

इन्होनें कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार कर्मचारी हितों की अनदेखा कर रही है, इससे कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। उक्त आक्रोश से समाधान हेतु राज्य सरकार से भीघ्र ही वार्ता की जायेगी। वही संबोधित करते हुए प्रदेश सम्मानित अध्यक्ष अशोक सिंह नयन ने कहा कि छठा सम्मेलन में प्रतिनिधि प्रेक्षक के साथ-साथ अतिथियों की संख्या लगभग डेढ हजार थी, जिसमें सभी संघो एवं जिला से शामिल थे, जो एक रिकॉर्ड है। यह सम्मेलन तृतीय वर्ग के सभी संवर्गों यथा पंचायत सचिव, लिपिक, राजस्व उप निरीक्षक, जनसेवक आदि के वेतन विसंगति को निराकरण कर 2400 रुपये ग्रेड-पे लागू करने एवं सुगम प्रोन्नति सभी को देने, 8 वाँ वेतन आयोग का टर्म्स ऑफ रेफरेंस में आँगनबाड़ी सेविका-सहायिका, जलसहिया, स्वास्थ्य सुहिया, एसएसटी, बीटीटी ., आउटसोर्स, दैनिक मजदूरी, प्रोत्साहन राशि, पोषण सखी एवं मानदेय कर्मियों को शामिल करने, 18 महिने का बकाया महँगाई भत्ता देने, एक जनवरी 2026 से एक साथ आठवाँ वेतन आयोग की अनुशंसा राज्य एवं केन्द्र में लागू करने, चतुर्थ वर्ग के कर्मियों को तृतीय वर्ग में प्रोन्नति, कम्प्युटर ऑपरेटरों को समान कार्य, समान वेतन लागू करने आदि प्रमुख माँग केन्द्र एवं राज्य सरकार से की गई।

इस प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष अमर किशोर प्रसाद सिन्हा ने कहा कि सम्मेलन में 26 सुत्री  माँग पारित की गई है, वो शीघ्र ही राज्य एवं केन्द्र सरकार को भेजते हुए लागू करने की माँग की जायेगी। इन्होने कहा कि झारखण्ड के सभी जिलों का भ्रमण कर कर्मचारियों की कठिनाई प्राप्त कर राज्य सामान्य परिषद की बैठक में पारित कराया जायेगा। अगर सरकार हमारी माँगो को नजर अन्दाज करती है, तो आंदोलन पर जाने की बाध्यता होगी।

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