डॉ अब्दुल कलाम भारतमाता के महान सपूत : प्राचार्य डॉ जीएन खान

कथारा (बेरमो): डीएवी पब्लिक स्कूल सीसीएल कथारा की प्रार्थना सभा में बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति एवं भारतरत्न डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती मनाई गई। सर्वप्रथम प्राचार्य एवं सभी शिक्षक -शिक्षिकाओं ने डॉक्टर कलाम के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। प्रार्थना सभा की सभी गतिविधियां डॉक्टर कलाम पर ही आधारित थीं। शिवम, आरोही,अनम, शुभंकर ,श्रेया प्रिया, रीत एवं जैनब ने प्रार्थना सभा में अपनी प्रस्तुतियां दी।अंत में विद्यालय के प्राचार्य सह झारखंड जोन-आई के सहायक क्षेत्रीय पदाधिकारी डॉक्टर जी. एन. खान ने अपने संबोधन में कहा कि डॉक्टर कलाम के जीवन का प्रत्येक पहलू प्रेरणादायक है। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 में रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव के एक अत्यंत साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता नाविक थे। वे अपने पिता की आर्थिक सहायता करने के लिए सुबह अखबार बेचते और फिर विद्यालय जाते। संघर्षपूर्ण वातावरण में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। मद्रास तकनीकी विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पढ़ाई पूरी करने के बाद वे एक पायलट बनना चाहते थे लेकिन विधि को कुछ और मंजूर था। वे देश के एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक बने। उन्होंने डीआरडीओ एवं इसरो जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम भी किया। उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह एसएलवी -III के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही साथ 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पोखरण परमाणु परीक्षण में भी भारत को सफलता दिलाई। उनका मानना था कि भारत को भी विश्व के अन्य विकसित देशों की तरह परमाणु शक्ति से संपन्न होकर अपनी रक्षा के लिए तत्पर रहना चाहिए। अग्नि ,पृथ्वी, आकाश, त्रिशूल, नाग जैसे मिसाइलों के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। इसी कारण पूरी दुनिया उन्हें भारत के ‘मिसाइल मैन’ के नाम से जानती है। वह एक अच्छे लेखक भी माने जाते हैं। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी जिनमें अग्नि की उड़ान मार्गदर्शक प्रकाश तेजस्वी मन आदि प्रमुख हैं ।वे कहते थे कि यदि सूरज की तरह चमकना है तो सूरज की तरह तपना सीखो। विद्यार्थियों से उनका विशेष लगाव था। वे स्वयं को एक वैज्ञानिक कम और शिक्षक ज्यादा समझते थे। विद्यार्थियों के साथ समय बिताना उन्हें बहुत अच्छा लगता था। उनके जीवन का अंतिम क्षण भी विद्यार्थियों के साथ ही बीता। 27 जुलाई 2015 को ‘भारतीय प्रबंधन संस्थान’ शिलांग में एक व्याख्यान के दौरान उन्हें हृदयाघात आया। इसी हृदयाघात ने उनकी इहलीला को समाप्त कर दिया। प्राचार्य ने सभी विद्यार्थियों से कहा कि वे डॉक्टर कलाम के जीवन दर्शन का अवलोकन करें और उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें। इस विशेष प्रार्थना सभा को सफल बनाने में विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक पंकज कुमार, डॉक्टर आर एस मिश्रा, नागेंद्र प्रसाद, जितेंद्र दुबे, जयपाल साव, रंजीत कुमार सिंह, रितेश कुमार, बीके दसौंधी ,वीणा कुमारी, रेखा कुमारी, आराधना, सुमन कुमारी आदि लोग उपस्थित थें।

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