धनबाद।सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव में देश भर से आए साधक, विचारक, संत और राष्ट्रनिष्ठ नागरिकों ने एकत्र होकर ‘सनातन राष्ट्र’ की स्थापना का संकल्प एक बार फिर से दृढ किया । शतचंडी यज्ञ, धर्मध्वज आरोहण, युद्धकला का प्रदर्शन, संतों का मार्गदर्शन और विचारकों के राष्ट्ररक्षण संबंधी विचार – इन सभी ने महोत्सव को केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि वैचारिक और क्रियाशील अधिष्ठान दिया । इस शंखनाद ने साधकों के मन में ‘व्यष्टि (व्यक्तिगत) साधना के साथ-साथ समाज रक्षण के लिए आवश्यक समष्टि (सामूहिक) साधना भी महत्त्वपूर्ण है’, यह भावना उत्पन्न की । विशेषतः युवा शक्ति को शौर्य, आत्मरक्षा और देशभक्ति का नया मंत्र मिला । आज देश सांस्कृतिक संघर्ष की दहलीज पर खड़ा है । ऐसे समय में यह महोत्सव एक चेतनादायी ज्योति है, जो हर हिंदू के मन में धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के लिए तैयार रहने का तेज जगा रही है । इस महोत्सव के माध्यम से आरंभ हुआ विचारमंथन ही इसका असली परिणाम है और रामराज्य की दिशा में उठाया गया एक दृढ कदम सिद्ध होने वाला है ।समाज में व्यापक प्रभाव का प्रतीक !: इस महोत्सव में 23 देशों के 30 हजार से अधिक साधक और हिंदू धर्मप्रेमी उपस्थित थे । गोवा राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, भाग्यनगर के हिंदुत्वनिष्ठ विधायक टी. राजा सिंह, गोवा के स्वास्थ्य मंत्री श्री विश्वजीत राणे, केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री श्रीपाद नाईक, गोवा के विद्युत मंत्री श्री सुदीन ढवलीकर, भाजपा के गोवा प्रदेश अध्यक्ष श्री दामोदर नाईक इत्यादि राजनीतिक क्षेत्र के मान्यवरों के साथ गोवा के कुंडई स्थित दत्त पद्मनाभ पीठ के पद्मश्री सद्गुरु ब्रह्मेशानंद स्वामीजी, ‘सनातन बोर्ड’ के प्रवर्तक पू. देवकीनंदन ठाकुरजी, कर्नाटक के मैसूर राजघराने के युवराज, तथा मैसूर के सांसद श्री यदुवीर कृष्ण दत्त चामराज वाडियार, ‘सुदर्शन न्यूज़’ के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके जैसे मान्यवर उपस्थित थे । सनातन धर्म के कार्यक्रमों को राजनीतिक समर्थन प्राप्त होना, समाज में उसके व्यापक प्रभाव का प्रतीक है ।सनातन राष्ट्र की स्थापना के लिए वैचारिक बैठक ! : सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव में विचारकों, संतों, धर्मगुरुओं के भाषणों के माध्यम से सनातन विचारों पर आधारित राष्ट्र की स्थापना के लिए वैचारिक बैठक सशक्त हुई । उपस्थित लोगों ने क्रियाशील राष्ट्रनिष्ठ साधना हेतु कटिबद्ध रहने का संकल्प लिया । युद्धकला के प्रदर्शन से युवक-युवतियों में आत्मरक्षा, शौर्य और सज्ज रहने की भावना जागृत हुई । शास्त्र के साथ-साथ शस्त्रसज्जता भी धर्मरक्षण का महत्त्वपूर्ण अंग है, यह बात रेखांकित की गई । गौ-रक्षा, गुरुकुल व्यवस्था, पारंपरिक विधियां, सनातन आचारधर्म की आवश्यकता पुनः रेखांकित की गई । कई सहभागी संस्थाओं ने आगे की कार्यवाही हेतु सहयोग और समन्वय की रूपरेखा बनाने का दृढ निश्चय किया । ‘सुदर्शन न्यूज़’ जैसे माध्यमों ने इस आंदोलन को व्यापक स्तर तक पहुंचाने का संकल्प किया । सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों के माध्यम से महोत्सव की चर्चा आरंभ हुई, जिससे ‘हिंदू राष्ट्र’ की धारणा को मुख्यधारा में लाने का प्रयास स्पष्ट दिखाई दे रहा है ।जनता के मन का लक्ष्य ! : इस महोत्सव ने एक बात सिद्ध कर दी कि, ‘सनातन राष्ट्र’ की संकल्पना अब केवल एक विचारधारा न रहकर, जनता के मन का लक्ष्य बन रही है; क्योंकि जहां ज्ञानवापी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि जैसे मुकदमे न्यायालयों में चल रहे हैं, वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों को चुनौती देनेवाला सुधारक विधेयक संसद में पारित हुआ है, कुछ राज्यों ने समान नागरिक संहिता लागू करने की शुरुआत की है – यह सभी सनातन राष्ट्र की दिशा में तेज़ी से उठते हुए कदम ही हैं ।छत्रपतियों के शौर्य और रणनीति की याद ! गोवा में हुए ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ का एक विशेष भाग था – छत्रपति शिवाजी महाराज के काल के दुर्लभ और प्राचीन शस्त्रों की प्रदर्शनी । यह शस्त्र प्रदर्शनी देखते समय हर उपस्थित व्यक्ति के मन में छत्रपति के शौर्य और रणनीति की याद जागृत हुई । आज के युग में, जहां अंतरराष्ट्रीय और धार्मिक कट्टरपंथी भारत पर आक्रमण कर रहे हैं, वहां छत्रपति की युद्धनीति और शौर्य का आदर्श ‘सनातन राष्ट्र’ की स्थापना के लिए प्रेरक सिद्ध हो रहा है ।हिंदवी स्वराज्य के नवयुग का आरंभ ! सनातन संस्था, सनातन हिंदू संस्कृति के संरक्षण और राष्ट्ररक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत है । भारत की विजय हो और पृथ्वी पर एकमात्र सनातन राष्ट्र भारत की रक्षा हो, इसके लिए सनातन संस्था की ओर से फर्मागुड़ी, फोंडा, गोवा की पावन भूमि पर ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ के अंतर्गत ‘शतचंडी यज्ञ’ का आयोजन किया गया था । वहां हुआ वैचारिक शंखनाद, हिंदुओं को आत्मविश्वास, दिशा और उद्देश्य प्रदान करने वाला रणघोष बना । यह केवल एक महोत्सव नहीं, बल्कि हिंदवी स्वराज्य के नवयुग की शुरुआत है ।भगवान श्रीराम के धर्मयुद्ध का संदेश ! बांग्लादेश में सरकार विरोधी आंदोलन में हिंदुओं को ही मारा गया । कश्मीर, केरल और बंगाल से हिंदू धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं । पहलगाम में भी धर्म पूछकर हिंदुओं की हत्याएं की गईं । हर स्थान पर हिंदुओं को ही निशाना बनाया जा रहा है । ऐसे समय में ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ हमें भगवान श्रीराम के धर्मयुद्ध का संदेश देता है । धर्म, धैर्य और एकता से ही राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा की जा सकती है । आज के युग में आतंकियों और कट्टरपंथियों द्वारा उत्पन्न खतरों का सामना करने के लिए भी इस दिव्य ऊर्जा की आवश्यकता है – जो इस महोत्सव से प्राप्त हुई । हॉलैंड के भविष्यवक्ता पीटर हर्कोस ने भविष्यवाणी की थी – ‘भारत में सनातन धर्म का शंखनाद होगा और अध्यात्म के कारण वह विश्वगुरु बनेगा ।’ इस महोत्सव के कारण गुरुदेव जी के संकल्प से कार्य सिद्धि की ओर अग्रसर है और ‘भारत शीघ्र ही विश्वगुरु बनने की दिशा में अग्रसर है’, यह अब सभी को निश्चित हो गया है । सनातन राष्ट्र का यह दिव्य मार्ग प्रकाशमान रहे और भारत यह धर्मध्वज ऊंचा उठाते हुए वैश्विक स्तर पर पराक्रमी राष्ट्र के रूप में खड़ा हो – इसके लिए प्रत्येक हिंदू तैयार हों, यही गुरुओं के चरणों में प्रार्थना है !।